आरआरआरएलएफ भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन स्थापित एवं संपूर्ण रूप से वित्त
पोषित एक केन्द्रीय स्वशासित प्रतिष्ठान है । यह पश्चिम बंगाल सोसाइटी पंजीयन अधिनियम,
1961 के तहत पंजीकृत है । यह भारत सरकार की नोडल एजेंसी है जो अपने संघ के ज्ञापन में
सम्मिलित उद्देश्यों के अनुरूप लोक पुस्तकालय सेवाओं और देश में लोक पुस्तकालय आन्दोलन
को प्रोन्नत करने में मदद प्रदान करती है ।.
आरआरआरएलएफ की सर्वोच्च नीति निर्धारक निकाय को प्रतिष्ठान कहते हैं, इसमें भारत सरकार
द्वारा नामित 22 सदस्य हैं, जो प्रसिद्ध शिक्षाविद, पुस्तकालयाध्यक्ष, प्रशासक और वरिष्ठ
अधिकारी होते हैं । संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के मंत्री या उनके द्वारा नामित
व्यक्ति आरआरआरएलएफ का अध्यक्ष होता है । वर्तमान समय में श्री गंगापुरम किशन रेड्डी, अध्यक्ष हैं और प्रो. अजय प्रताप सिंह, महानिदेशक प्रतिष्ठान के कार्यकारी
अध्यक्ष और पदेन सदस्य-सचिव होते हैं । प्रतिष्ठान राज्य पुस्तकालय समिति (एसएलसी)
नामक तंत्र के माध्यम से प्रत्येक राज्य / केन्द्रशासित प्रदेश में कार्य करता है ।
प्रतिष्ठान विभिन्न राज्य सरकारों और केन्द्र शासित प्रशासनों के साथ घनिष्ठ और सक्रिय
सहयोग के साथ, प्रतिष्ठान के प्रयास से स्थापित राज्य की राज्य पुस्तकालय योजना समिति
(एलएसपीसी/एसएलसी) नामक यंत्र के माध्यम से कार्य करता है । प्रतिष्ठान के कार्यक्रमों
में भाग लेने के लिए, किसी राज्य सरकार / केन्द्र शासित प्रदेश को प्रतिष्ठान द्वारा
निर्धारित एक निश्चित राशि का अंशदान देना पड़ता है ।
2005-2006 से प्रतिष्ठान ने खेल एवं युवा मामले के अन्तर्गत एक स्वशासित संगठन नेहरू
युवा केन्द्र संगठन के सहयोग से जिला युवा संसाधन (डीवाईआरसी) विकसित करने का प्रयास
शुरू किया है ।