बंगाल की खाड़ी में स्थित अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह ब्रिटिस साम्राज्य में आजीवन कारावासियों, राजनितिक कारावासियों देशनिकाला के रूप में जाना जाता है. 1 नवम्बर, 1956 को अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया. इसकी राजधानी पोर्ट ब्लेयर में दो जिला है एवं इसका क्षेत्रफल 8,249 वर्ग किलो मीटर है. पोर्ट ब्लेयर का हिन्दू पुस्तकालय1959 में प्रारंभ हुआ जिसे बाद में 1974 में राज्य पुस्तकालय के रूप में परिवर्तित किया गया. कार निकोबार में जिला पुस्तकालय की स्थापना हुई. दोनों जिलाओं को सात शैक्षणिक अंचलों में विभाजित किया गया. वहॉं पेशीय संस्थाओं द्वारा प्रबंधित 13 अंचल पुस्तकालय है. गतिमान पुस्तकालय सेवा, सितम्बर, 2002 में आरआरआरएलएफ की मिली जूली सहायता से एक ईकाई राज्य पुस्तकालय स्थापित की गई. 1977 में अण्डमान और निकोबार पुस्तकालय संघ की स्थापना हुई जसने राज्य के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली की रूपरेखा तैयार की और राज्य के प्रशासनिक प्राधिकारियों के अनुमोदनार्थ प्रस्तुत किया. संघ के लगातार प्रयासों के फलस्वरूप सरकार ने 1978 में अण्डमान और निकोबार पुस्तकालय योजना आयोग गठित की. वर्तमान में सार्वजनिक पुस्तकालयों का विकास इसी समिति की सिफारिशों का परिणाम है. अब संघ ने पुस्तकालय अधिनियमका कार्य अपने हाथों में लिया है.
आन्ध्र राज्य की स्थापना 1 अक्टूबर, 1953 में हुई जिसमें मद्रास के पूर्व खण्ड के तेलगू भाषी क्षेत्र शामिल है. बाद में 1956 के राज्य मान्यता अधिनियम के अन्तर्गत 1 नवम्बर, 1956 में आन्ध्र एवं तेलंगाना क्षेत्र आंध्र प्रदेश राज्य में समाहित हो गया. इसकी राजधानी हैदराबाद है और इसमें 23 जिला है जो 2,75,045 वर्ग किलो मीटर में फैला हुआ है. जिस समय आन्ध्र प्रदेश की स्थापना हुई उस समय आन्ध्र में 1948 का मद्रास सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम और तेलंगाना क्षेत्र में हैदराबाद सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम 1955 लागू था. एक ही राज्य में एक ही विषय से संबंधित दो अलग अलग अधिनियम के प्रचालन में प्रशासनिक कठिनाई महसूस की जाने लगी. अत: दोनों अधिनियम को समाहित किया गया, परिवर्तित किया गया, अद्यतन बनाया गया और एक समेकित अधिनियम यथा, आन्ध्र प्रदेश सार्वजनिक पुस्तकालय कानून, 1960 पारित किया गया जो पूरे आन्ध्र प्रदेश में 1 अप्रैल,1960 से प्रभावी हुआ. वर्ष 1961 में एक अलग एवं स्वतंत्र निदेशालय की स्थापना की गई. इसे प्राथमिक शिक्षा के स्कूल शिक्षा के माननीय मंत्री के प्रशासनिक नियंत्रण के अन्तर्गत रखा गया. बाद में 1964, 1969, 1987 एवं 1989 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया. आन्ध्र प्रदेश में उत्तम सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली उपलब्ध है जिसमें केन्द्रीय पुस्तकालय, क्षेत्रीय पुस्तकालय, जिला केन्द्रीय पुस्तकालय एवं उसकी शाखाऍं हैं और इस प्रणाली के नियंत्रण के लिए पूर्ण कालिक निदेशक उपलब्ध हैं.
असम राज्य, जो भारत के पूर्वोत्तर कोण में स्थित है, की राजधानी डिसपुर, गुवाहाटी है. इसमें 23 जिला है जिसका क्षेत्रफल 78, 438 वर्ग किलो मीटर है. वहॉं गुवाहाटी में एक राज्य पुस्तकालय है और सभी जिला में एक जिला पुस्तकालय है. 1964 में गुवाहाटी में आठवॉं समस्त असम पुस्तकालय सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें डॉ. एस.आर. रंगनाथन को आमंत्रित किया गया. स्म्मलेन के संबंध में डॉ. एस.आर. रंगनाथन ने असम राज्य के लिए सार्वजनिक पुस्तकालय बिल का एक प्रारूप तैयार किया. इस सम्मेलन में बिल के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई एवं यह संकल्प लिया गया कि असम सरकार को यह अनुरोध किया जाए कि राज्य में उपलब्ध पुस्तकालय सेवाओं को समेकित करने के उद्देश्य से सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम की स्थापना की जाए और राज्य में सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली का विकास किया जाए. सम्मेलन उपरांत असम पुस्तकालय संघ ने इस बिल को सरकार के विचारार्थ प्रस्तुत किया. अभी तक इसका कोई परिणाम नहीं आया.
मूल पूर्वोत्तर सीमा अभिकरण (नेफा) के अंश को 20 फरवरी, 1987 में अरूणाचल प्रदेश राज्य के रूप में पूनर्गठन किया गया. यहॉं की जनसंख्या में जनजातीय की प्रधानता है. इसकी राजधानी ईटानगर है और इस राज्य में 13 जिला हैं और इसका क्षेत्रफल 3,743 वर्ग किलो मीटर है. 1978 में राज्य की स्थापना के उपरांत सचिवालय पुस्तकालय को राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय के रूप में परिवर्तित किया गया. वर्तमान में वहॉं एक राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय, इसकी दो शाखाऍं, 16 जिला पुस्तकालय, 3 प्रादेशिक पुस्तकालय, 13 उप-प्रादेशिक पुस्तकालय, 26 प्रखण्ड पुस्तकालय एवं 30 अंचल पुस्तकालय उपलब्ध है तथा गतिमान वाहन द्वारा राजधानी के शहर में गतिमान पुस्तकालय सेवा भी प्रारंभ की गई है. सभी जिला मुख्यालय में जिला पुस्तकालय हैं. तथापि अभी तक सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम के लिए कोई पहल नहीं की गई है.
पूर्व में बिहार एवं उड़िसा दो अलग अलग प्रदेशों में से 1936 में बिहार को एक अलग प्रान्त घोषित किया गया . 1936 में बिहार पुस्तकालय संघ प्रारंभ हुआ. इस संघ ने 1937 में बिहार पुस्तकालय सम्मेलन आयोजित किया. इस संघ द्वारा बिहार में पुस्ताकलयों के विकास योजना हेतु एक प्रारूप तैयार किया गया. संघ ने अग्रिम कार्रवाई हेतु उस प्रारूप को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया. पुस्तकालय पेशा से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों के अथक प्रयास से बिहार सरकार ने 2008 में सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित किया. बिहार के पटना में एक राज्य पुस्तकालय तथा सभी जिला में एक एक जिला पुस्तकालय है.
खूबसुरत शहर चंडीगढ़ को समेकित पंजाब राज्य की राजधानी बनाया गया. 1 नवम्बर, 1966 में इस राज्य के पुनगर्ठन के पश्चात इसे केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया एवं यह पंजाब एवं हरियाणा दोनों का संयुक्त राजधानी बना. चंडीगढ़ में जिला पुस्तकालय है. पुस्तकालय अधिनियम से संबंधित प्रयास के संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
यह राज्य 1 नवम्बर, 2000 को मध्य प्रदेश राज्य से पृथक हुआ. छत्तीसगढ़ का अर्थ है 36 किलाऍं. 1964 से ही इसे एक अलग राज्य घोषित किए जाने की मांग थी. इस क्षेत्र का अधिकांश भाग पिछड़ा हुआ है और इसमें अधिक विकास की आवश्यकता है. इसमें 16 जिला है जिसका क्षेत्रफल 1,35,200 वर्ग किलो मीटर है. रायपुर इसकी राजधानी है. पूर्व में मध्य प्रदेश राज्य प्रशासन द्वारा सभी जिला में एक एक जिला पुस्तकालय है. यद्यपि इस राज्य ने 2008 में ही सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित कर दिया था परन्तु इसका कार्यान्वयन अभी भी शेष है.
नागर हवली पश्चिमी तट पर स्थित है और यह चारों ओर से गुजरात और महाराष्ट्र राज्य से घिरा हुआ है. स्वतंत्रता के समय ये क्षेत्र पुर्तगालियों के शासनाधीन था. 1954 में पुर्तगालियों को खदेड़ दिया गया और उसके बाद से यह प्रदेश भारतीय संघ के अधीन हो गया. 11 अगस्त, 1961 में इसे केन्द्र शासित प्रदेश घोषित किया गया. इसकी राजधानी सिलवासा है और इसका कुल क्षेत्रफल491 वर्ग किलो मीटर है. पुस्तकालय स्थापना से संबंधित प्रयासों की जानकारी उपलब्ध नहीं है.
स्वतंत्रता के समय दमन एवं दियू पुर्तगालियों के अधीन था. यह 1961 में स्वतंत्र हुआ और सांविधिक अधिनियम 1962 (12वॉं संशोधन) के अनुरूप इसे गोवा के साथ संलग्न कर दिया गया. 1987 में 57वॉं सांविधिक संशोधन द्वारा उसे गोवा से पृथक कर केन्द्र शासित प्रदेश घोषित किया गया. इसकी राजधानी दमन है और 2 जिला के साथ इस प्रदेश का क्षेत्रफल 112 वर्ग किलो मीटर है. इस केन्द्र शासित प्रदेश में 2 जिला पुस्तकालय कार्यरत है. पुस्तकालय स्थापना से संबंधित प्रयासों की जानकारी उपलब्ध नहीं है.
पूर्व दिल्ली राज्य, आजकल दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र कहा जाता है, भाग्यशाली है कि इसमें स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित अधिक संख्या में सार्वजनिक पुस्तकालय उपलब्ध है. इस राज्य में हरिदयाल म्यूनिसिपल पुस्तकालय सबसे प्राचीन पुस्तकालय है जो 1862 में प्रारंभ हुआ. 1970 में भवन निर्माण के उपरांत इसका नाम परिवर्तित कर हरिदयाल सार्वजनिक पुस्तकालय रखा गया. 1915 में मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की गई. उसी वर्ष में रघुमल वैदिक पुस्तकालय की स्थापनाकी गई. 1928 में फतेहपुर मुस्लिम पुस्तकालय प्रारंभ हुआ और 1934 में रामकृष्ण मिसन द्वारा नि:शुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की गई. 1951 में यूनेस्को के साथ भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा उत्तम प्रणालीयुक्त दिल्ली सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की गई. अब इसका प्रबंधन दिल्ली पुस्तकालय बोर्ड द्वारा किया जाता है. इसमें एक केन्द्रीय पुस्तकालय है, सराजिनी नगर में एक आंचलिक पुस्तकालय है जिसकी पटेन नगर, कैरोल बाग एवं शाहदारा में भी तीन और शाखाऍं है और इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर इसकी अनेक उप-शाखाऍं और सामुदायिक पुस्तकालय हैं. 1954 से ही पुस्तकालय अधिनियम बनाने के लिए प्रयास किया जा रहा है. 11 अगस्त, 1996 में डॉ. रंगनाथन के जन्म दिवस समारोह के अवसर पर नई दिल्ली में आईएलए एवं रंगनाथन रिसर्च सर्कल (आरआरसी) द्वारा विशेषकर दिल्ली पुस्तकालय अधिनियम के संबंध में एक संगाष्ठी का आयोसार्वजनिक किया गया. डॉ. वी. वेंकटपपइया ने ‘दिल्ली सार्वजनिक पुस्तकालय एवं सूचना सेवा कानून’ पर एक मुखपत्र प्रस्तुत किया और प्रोफेसर कृष्ण कुमार एवं अन्य द्वारा कुछ संशोधनों के पश्चात् इस आदर्श अधिनियम को प्रोफेसर पी. एन. कौला द्वारा दिल्ली सरकार के तत्कालीन मुख्य मंत्री को प्रस्तुत किया गया. मुख्य मंत्री ने इसपर आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया परन्तु इस अधिनियम को अभी तक कार्यान्वित नहीं किया गया है.
गोवा बहुत समय तक पुर्तगाल कॉलानी था. यह 1961 में स्वतंत्र हुआ और दमन और दियू के साथ एक केन्द्र शासित प्रदेश बना. 30 मई, 2987 में गोवा एक अलग राज्य बना. इसकी राजधानी पंजी है और 2 जिलाओं के साथ इसका क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलो मीटर है. गोवा के प्रथम सार्वजनिक पुस्तकालय का नाम ‘पब्लिकन लिब्राइया’ था और यह 1932 में प्रारंभ हुआ. यह भारत का एक सबसे प्राचीन पुस्तकालय था. स्वतंत्रता के उपरांत इसे केन्द्रीय पुस्तकालय के रूप में परिवर्तित किया गया और इसमें सभी प्रकार की सुविधाऍं उपलब्ध करवाई गई. इसके नियंत्रण में पाँच तालुकऔर 56 ग्रामीण पुस्तकालय खोला गया. इसके अतिरिक्त सरकार ने स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित पुस्तकालयों को भी प्रोत्साहित किया जिसमें प्रसिद्ध हैं सरस्वती विद्यापीठ, पंजी, गोमत विद्या निकेतन पुस्तकाल, मर्गांव सिटी, जनता वेचनालय, वास्को-ड-गामा पुस्तकालय. सरकार ने 1983 में राज्य पुस्तकालय सलाहकार बोर्ड गठित किया और पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार कर सरकार को प्रस्तुत करने हेतु एक उप-समिति नियुक्त की. 1993 में विधान सभा में पुस्तकालय बिल का प्रारंभ श्री डॉनविक फर्नान्डिस ने किया और उसे 26 नवम्बर, 1993 को उसे पारित किया गया. इसे 29 जुलाई, 1995 को वहॉं के महामहिम राज्यपाल की स्वीकृति प्राप्त हुई.
गुजरात राज्य उत्तरी एवं पूर्वी (प्रधानत: गुजराती भाषा भाषी) क्षेत्र प्राचीन बम्बई राज्य से 1 मई, 1960 को पृथक हुआ. यह राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों की सीमाओं के साथ जुड़ा हुआ है. इस राज्य में पाकिस्तान से जुड़ा हुआ अन्तर्राष्ट्रीय सीमा भी है. गुजरात की राजधानी गांधीनगर है और 25 जिलों के इस राज्य का शासित क्षेत्र 1,96,024 वर्ग किलो मीटर है. इस राज्य के पास सार्वजनिक पुस्तकालय आंदोलन का संपन्न धरोहर है. भारत में 1910 से पूर्व बड़ोदा राज्य के महाराज सायजीराव गायकवाड सार्वजनिक पुस्तकालय आंदोलन के अग्रणी रहे हैं. बहुत समय तक अथक प्रयास के उपरांत श्री मनोहरसिंहजी जडेजा, अध्यक्ष, राज्य पुस्तकालय सलाहकार समिति, ने पुस्तकालय बिल का दुबारा प्रारूप तैयार कर सरकार को प्रस्तुत किया. अवलोकन के पश्चात् 28 दिसम्बर, 1977 में यह बिल राजपत्र में प्रकाशित हुआ और 17 फरवरी, 1978 में शिक्षा मंत्री द्वारा विधान सभा में प्रारंभ किया गया. अन्तत: सार्वजनिक पुस्तकालय बिल 2001 में पारित एवं कार्यान्वित किया गया. वर्तमान में पुस्तकालय निदेशालय के अधीन 2 राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय के अतिरिक्त 263 सरकारी पुस्तकालय एवं 4534 सरकारी अनुदान प्राप्त पुस्तकालय है.
हरियाणा राज्य 1 नवम्बर, 1956 में पंजाब राज्य से पृथक हुआ. यह भारत का एक सबसे छोटा राज्य है जिसमें 20 जिला हैं जिसका क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किलो मीटर है. अधिनियम से पूर्व भी 1967 में हरियाणा सरकार ने एक कार्यकारी आदेश के तहत इस राज्य में राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय एवं सभी जिला में जिला पुस्तकालय एवं नगरपालिकाओं में नगर पुस्तकालय के स्थापना की व्यवस्था की. इस प्रकार के सभी पुस्तकालयों का प्रबंधन उच्च शिक्षा निदेशक के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन रखा गया. 1989 में सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित किया गया.
हिमांचल प्रदेश उत्तरी भारत में स्थ्िात है जो चारों ओर से ढलाउ घाटियों से घिरा हुआ है. 23 जनवरी, 1971 में शिमला राजधानी बनाने के साथ साथ हिमांचल प्रदेश को एक पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया जिसमें 12 जिलें है जिसका क्षेत्रफल 55,673 वर्ग किलो मीटर है. इस राज्य में शिमला ही एकमात्र शहर है. सोलन में राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय का अनुसरण करते हुए 16 जिला पुस्तकालय की स्थापना के साथ ही राज्य में पुस्तकालय आंदोलन प्रारंभ हुआ. पुस्तकालय अधिनियम के महत्व को समझते हुए एक पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया गया. इस बिल की अनुपम विशेषता यह है कि शैक्षणिक पुस्तकालयों को भी पुस्तकालय प्रणाली में सम्मिलित किया गया है. इस बिल पर हिमांचल प्रदेश सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
झारखण्ड, जिसे पूर्वांचल भी कहा जाता है, समेकित बिहार राज्य से पृथक हुआ एक नया राज्य है. रॉंची राजधानी के साथ इस राज्य का गठन 15 नवम्बर, 2000 में हुआ जिसमें 24 राजस्व जिला है जिसका क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलो मीटर है. यहॉं सभी जिलों में जिला पुस्तकालय उपलब्ध है. इस नए गठित राज्य में पुस्तकालय अधिनियम बनाने हेतु प्रयास किया जाना अभी भी शेष है.
मैसूर राज्य का गठन 1956 में किया गया. 1 नवम्बर, 1973 में मैसूर का नाम परिवर्तित कर कर्नाटक रखा गया. कर्नाटक इस मामले में बड़ा ही भाग्यशाली था जिसे बंगलूरू के निवासी डॉ. एस. आर. रंगनाथन, जो पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान में शीर्ष स्थान पर थे, उनका सानिध्य प्राप्त था. उन्होंने मैसूर पुस्तकालय संघ की स्थापना का पहल किया. इस संघ ने 1958 में कर्नाटक पुस्तकालय सम्मेलन का आयोसार्वजनिक किया और राज्य में पुस्तकालय अधिनियम लागू करने का संकल्प लिया. संघ ने दृढ़तापूर्वक अनुवर्ती कार्रवाई करते हुए 22 अप्रैल, 1965 में विधान सभा में इस बिल को पारित करवाया. कर्नाटक के पास सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली के अंतर्गत कई विशेषताऍं हैं. वहॉं पिन्या में एक अलग सार्वजनिक तकनीकी पुस्तकालय है इस देश में अपने आप में सबसे उत्कृष्ट है. यहॉं शीर्ष में राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय है और अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध अन्य पुस्तकालयों के अतिरिक्त 26 शहर केन्द्रीय पुस्तकालय, 27 जिला पुस्तकालय और गतिमान पुस्तकालय भी उपलब्ध है.
केरल का वर्तमान राज्य 1956 में गठित हुआ जिसमें 14 जिला हैं जिसका क्षेत्रफल 38,363 वर्ग किलो मीटर है. इस राज्य को सर्वोच्च शिक्षित दर हासिल करने का गौरव प्राप्त है. 19वीं शदी के मध्याह्न में समाज सेवा से प्रेरित होकर उत्साहित युवा व्यक्तियों द्वारा सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की गई. पर्याप्त निधी श्रोत के अभाव में ऐसा पुस्तकालय ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाया. बहुतों में से कुछ ऐसे ही पुस्तकालय जो शदी के अन्त में प्रारंभ हुआ वही शेष है. त्रिवेंद्रम सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना 1829 में त्रवणकोर के महाराज श्री स्वाती तिरूनल के शासन काल के दौरान कोलोनेल एडवार्ड कौन्डगौन जो कि त्रवणकोर के ब्रिटिस निवासी (ब्रिटिस संग्रहालय के स्थापक सर हन्स स्लोने के पोते थे) द्वारा की गई. 1847 में ही इस पुस्तकालय का अपना भवन था. कोट्टायम सार्वजनिक पुस्तकालय 1858 में, इर्नाकुलम सार्वजनिक पुस्तकालय 1870 में और सुगुनापोशिनी वयानसाला, वन्चियूर का सार्वजनिक पुस्तकालय 1884 में स्थापित किया गया. बहुत से अन्य सार्वजनिक पुस्तकालय के अतिरिक्त ऐसे सभी पुस्तकालय केरल में संचालित हैं. ’केरल ग्रन्थशाला संगम’ की स्थापन 1945 में हुई और बहुत कम समय ही में वह एक बड़े सांस्कृतिक, सामाजिक और शैक्षिक मंच के रूप में उभर गया जिसके अंतर्गत पहले से ही लगभग 4000 पुस्तकालय संबद्ध हैं. पुस्तकालय अधिनियम से पूर्व ही संगम को सरकारी अनुदान प्राप्त होता रहा है और संगम उस अनुदान को राज्य के सार्वजनिक पुस्तकालय में आबंटित करता रहा है.
फरवरी, 1989 में केरल सार्वजनिक पुस्तकालय बिल विधान सभा में प्रस्तुत किया गया और अत्यधिक विचार विमर्श एवं संशोधनों के उपरांत बिल सर्वसम्मति से पारित किया गया. अधिनियम के उपरांत त्रिवेंद्रम सार्वजनिक पुस्तकालय को राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय के रूप में परिवर्तित किया गया और प्रणाली के नियंत्रण एवं अनुदान की राशि आबंटित करने के संबंध में एक राज्य पुस्तकालय परिषद की स्थापना की गई.
लक्षद्वीप को 1956 में केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया. लक्षद्वीप का केन्द्रीय पुस्तकालय मूल रूप से राज्य सचिवालय में अवस्थित है. परन्तु इसकी शाखाऍं अध्ययन कक्ष-सह-पुस्तकालय के रूप में लगभग सभी द्वीपों में स्थापित है. बाद में केन्द्रीय पुस्तकालय वहॉं के मुख्यालय कवरत्ती में स्थानांतरित हो गया. अब सार्वजनिक पुस्तकालय सेवा संपूर्ण प्रादेशिक क्षेत्रों में उपलब्ध है. केन्द्र शासित प्रदेश में सार्वजनिक पुस्तकालय का प्रबंधन सरकार की समाज कल्याण शाखा करती है. यहॉं सलाहकार स्वरूप एक केन्द्रीय पुस्तकालय समिति गठित है और इसमें सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व है. यह केन्द्र शासित प्रदेश अभी तक पुस्तकालय अधिनियम के बारे में नहीं सोच पाया है.
मध्य प्रदेश राज्य 1 नवम्बर, 1956 में गठित हुआ और उसकी राजधानी भोपाल बनी. इसमें 48 जिला है और इसका क्षेत्रफल 3,08,346 वर्ग किलो मीटर है. स्वैच्छिक संगठनों द्वारा कुछ समय तक पुस्तकालयों का रख-रखाव करने के अतिरिक्त मध्य प्रदेश सरकार क्षेत्रीय एवं जिला पुस्तकालयों का रख-रखाव करती है और ग्राम पंचायत स्तर पर संचालित पुस्तकालयों को सहायता प्रदान करती है. इस राज्य की जनता ने बहुत पहले ही पुस्तकालय अधिनियम के महत्व को महसूस किया. तत्कालीन केन्द्रीय प्रदेश हेतु डॉ. रंगनाथन द्वारा तैयार किया गया पुस्तकालय बिल का प्रारूप 1946 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री एस.वी. गोखले को प्रस्तुत किया गया. परन्तु उसका कोई परिणाम नहीं निकला. 1968 में इन्दौर में सतरहवॉं अखिल भारतीय पुस्तकालय सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में पुस्तकालय बिल से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई और यह संकल्प लिया गया कि मध्य प्रदेश पुस्तकालय संघ पुस्तकालय अधिनियम संबधी मुद्दों को उठाए. इसके फलस्वरूप डॉ. जी.डी. भार्गव एवं श्री वी. एस. मोगे ने पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार कर संघ के माध्यम से शिक्षा मंत्री श्री जगदीशनारायण अवस्थी को प्रस्तुत किया. बिल को कई विभागों में क्रियान्वयन हेतु भेजा गया परन्तु उसका कोई परिणाम नहीं निकला. संघ अभी भी विधान सभा में इस विषय को अग्रसारित कर रहा है.
बम्बई प्रदेश के दो टूकड़ों में विभासार्वजनिक के उपरांत 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र राज्य का गठन हुआ. पश्चिम में यह अरब सागर के किनारे स्थित है. इसकी राजधानी मुंबई (पूर्व में बम्बई) है और इसमें 51 जिला है और इसका क्षेत्रफल 3,07,713 वर्ग किलो मीटर है. बम्बई सरकार ने 1939 में पुस्तकालय अधिनियम की समीक्षा के लिए श्री फ्याजी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया. समिति ने अपना रिपोर्ट 1940 में प्रस्तुत किया परन्तु द्वतीय विश्व युद्ध (1939–1945) के कारण 1971 तक इसका कार्यान्वयन नहीं हो सका. रिपोर्ट के कार्यान्वयन के दौरान बम्बई सरकार ने सार्वजनिक पुस्तकालय के प्रबंधन के लिए एक पुस्तकालय संरक्षक नियुक्त किया. फ्याजी समिति के रिपोर्ट के अनुसार बम्बई के एसियाटिक सोसाइटी को राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय की भूमिका अदा करने का भार सौंपा गया जिसने पुणे, धरवार और अहमदाबाद में क्षेत्रीय पुस्तकालयों की स्थापना की है.
1960 में धरवार का स्थानांतरण कर्नाटक में किया गया और अहमदाबाद का गुजरात में. महाराष्ट्र सरकार ने स्वयं ही सार्वजनिक पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया और 17 नवम्बर, 1967 में विधान सभा में पारित किया गया. एसियाटिक सोसाइटी ने केन्द्रीय पुस्तकालय महाराष्ट्र सरकार को सौंप दिया ताकि सरकार द्वारा राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय पूर्ण रूप से संचालित किया जा सके. निजी प्रबंधन द्वारा संचालित जिला पुस्तकालयों को क्रम बद्ध रूप में सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली के साथ जोड़ा जा रहा है. अधिनियम के अंतर्गत प्रणाली के प्रबंधन हेतु सार्वजनिक पुस्तकालय के पूर्ण कालिक निदेशालय हैं. वर्तमान में 10730 अनुदान प्राप्त पुस्तकालयों के अतिरिक्त यहॉं सरकार द्वारा संचालित 1 राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय, 6 प्रमंडलीय पुस्तकालय, 1 संदर्भ पुस्तकालय एवं 30 जिला पुस्तकालय हैं.
मणीपुर राज्य मूलत: एक राजसी राज्य था. इसकी राजधानी इम्फाल है और इसमें 9 जिला है और इसका क्षेत्रफल 22,327 वर्ग किलो मीटर है. 1938 में इम्फाल सार्वजनिक पुस्तकालय प्रारंभ हुआ. राज्य के कुछ पुस्तकालय अच्छी सेवाऍं उपलब्ध करवा रही हैं. 1987 में मणीपुर पुस्तकालय संघ की स्थापना हुई और प्रारंभ से ही यह बहुत सक्रिय रही. इसने पूरे राज्य में पुस्तकालय संबंधी जानकारी सृजित की. संघ ने मणीपुर पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया और 1 अगस्त, 1988 में विधान सभा में प्रारंभ करवाया गया. कुछ मामूली संशोधनों के साथ इस बिल को सर्वसम्मति से पारित किया गया. यहॉं एनजीओ संचालित 120 क्लब पुस्तकालयों के अलावा एक राज्य पुस्तकालय और सभी जिला में एक एक पुस्तकालय हैं.
असम से पृथक होने के उपरांत 21 जनवरी, 1972 में मेघालय एक पूर्ण राज्य बना. इसकी राजधानी शिलांग है और इसमें सात जिला हैं और इसका क्षेत्रफल 22,429 वर्ग किलो मीटर है. मेघालय सरकार में शिलांग जैसा स्थान होने के कारण पूर्व असम का राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. इस क्षेत्र के संपूर्ण विकास के उद्देश्य से 1972 में उत्तर पूर्व परिषद का गठन हुआ. इस परिषद ने इस क्षेत्र में पुस्तकालय सेवाओं की आवश्यकता की प्रकृति के संबंध में सुझाव देने हेतु पुस्तकालयों के लिए सलाहकार समिति बनाई. मेघालय के विशेषज्ञों ने यह महसूस किया कि ‘राज्य में सार्वजनिक पुस्तकालय जाल के प्रणालीबद्ध विकास को सुनिश्चित करने का सबसे उत्तम समाधान है पुस्तकालय विधेयक को लागू करना’. परन्तु सरकार द्वारा विधेयक लागू करने की प्रक्रिया अभी भी शेष है.
1972 में मिजो हिल्स जिला को केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया गया और मिजोरम दिया गया. 1987 में यह एक पूर्ण राज्य बना जिसमें आठ जिला है और इसका क्षेत्रफल 21,081 वर्ग किलो मीटर है. 1964 में असम सरकार ने आइजल में उप-प्रभागीय पुस्ताकलय प्रारंभ किया. मिजोरम के गठन के उपरांत आइजल में एक राज्य पुस्तकालय और लुंगलेई और सिहा में दो जिला पुस्तकालय स्थापित किया गया. युवा मिजो संघ(वाईएमए) एवं अन्य स्वैच्छिक संगठनों ने ग्रामीण पुस्तकालयों का प्रारंभ किया. सरकार पुस्तकों की आपूर्ति करके इन पुस्तकालयों को सहायता प्रदान कर रही है. युवा मिजो संघ इन ग्रामीण पुस्तकालयों को कर्मी, भवन, उपकरण उपलब्ध करवाती है. मिजोरम की जनता ने पुस्तकालय विधेयक के महत्व को महसूस किया. 1980 में राज्य पुस्तकालय ने मिजोरम सार्वजनिक पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार कर आवश्यक कार्रवाई हेतु सरकार को प्रस्तुत किया. अन्ततोगत्वा 1993 में सरकार ने मिजोरम सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित किया परन्तु अभी तक उसे कार्यान्वित नहीं किया गया है. वर्तमान में सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली के अन्तर्गत 1 राज्य पुस्तकालय, 5 जिला पुस्तकालय एवं 434 युवा मिजो संघ पुस्तकालय विद्यमान है.
नागालैंड राज्य पूर्व असम के नागा हिल्स जिला और उत्तर पूर्व सीमा अभिकरण (ब्रिटिस शासन के दौरान) के त्वेनसांग सीमा विभाग को मिलाकर बना है. 1957 में इसे केन्द्रीकृत प्रशासनिक क्षेत्र और जनवरी 1961 में केन्द्र शासित प्रदेश तथा 1 दिसम्बर, 1963 में पूर्ण राज्य बनाया गया. इस राज्य में पूर्व से म्यानमार, पूर्वोत्तर में अरूणाचल प्रदेश, उत्तर में असम एवं दक्षिण में मणीपुर की सीमा है. इसकी राजधानी कोहिमा है. इसमें आठ जिला है और इसका क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किलो मीटर है. कोहिमा में राज्य पुस्तकालय के अलावा सभी जिला में जिला पुस्तकालय विद्यमान है. राज्य में पुस्तकालय विधेयक बनाना अभी भी शेष है.
उड़िसा का एक विशेष ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है और यदि पीछे मुड़कर देखा जाए तो कलिंग साम्राज्य क्षेत्र जैसा है. 1936 में ब्रिटिस शासनकाल के दौरान इसे एक प्रदेश के रूप में बनाया गया. स्वतंत्रता के साथ ही उड़िसा के इर्द गिर्द सभी राजसी प्रदेशों को मिलाकर इसे एक राज्य बनाया गया. इसकी राजधानी भुवनेश्वर है और इस राज्य में 30 जिला है और इसका क्षेत्रफल 1,55,707 वर्ग किलो मीटर है. उड़िसा सांस्कृतिक परंपरा का धनी है और यहॉं पहले से पुस्तकालय उपलब्ध है. पांचवीं पंच वर्षीय योजना के दौरान उड़िसा सरकार ने सभी जिला मुख्यालय में जिला पुस्तकालय प्रारंभ किया. भुवनेश्वर में राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय हेतु एक नए भवन का निर्माण किया गया बाद में जिसका नाम हरे कृष्ण मेहताब रखा गया. सातवीं योजना के दौरान उप-प्रभागीय पुस्तकालयों और स्थानीय पुस्तकालयों की स्थापना का प्रस्ताव दिया गया. 1944 में उत्कल पुस्तकालय संघ गठित किया गया जिस संघ ने उड़िसा में पुस्तकालय विधेयक का बीजारोपन करने में अहम भूमिका निभाई. इस संघ ने उड़िसा विधान सभा में निजी बिल के रूप में पुस्तकालय अधिनियम का प्रारूप प्रस्तुत किया जिसे 25 मार्च, 1988 में विधान सभा द्वारा प्रारंभ किया गया. उड़िसा सरकार ने इस संबंध में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया.
पुडूचेरी को केन्द्र शासित प्रदेश बनाया गया और एक विधान सभा तथा सीमित शक्तियों के साथ मंत्री परिषद बनाया गया. इसकी राजधानी पूडूचेरी है और इसमें चार जिला हैं और इसका क्षेत्रफल 492 वर्ग किलो मीटर है. तीन सदियों तक पुडूचेरी में फ्रासिसी सरकार ने शासन किया. प्रथम पुस्तकालय का नाम ‘बिबिलोथेक पब्लिक’ था जिसे वर्तमान में रॉलैन्ड पुस्तकालय के नाम से जाना जाता है. 1827 में पुडूचेरी में इसका प्रारंभ हुआ. 1974 में इसके लिए एक नए भवन का निर्माण किया गया. यह राज्य का सबसे बड़ा पुस्तकालय है. इसके अलावा 1890 में करियाकल एवं माहे में सार्वजनिक पुस्तकालयों की स्थापना की गई. वर्तमान में पुडूचेरी सरकार का शिक्षा विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में 64 शाखा पुस्तकालयों का रख-रखाव कर रहा है. दो गतिमान पुस्तकालय पुडूचेरी एवं करियाकल क्षेत्र में संचालित है. मार्च , 2010 में पुस्तकालय विधेयक पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की सिफारिशों के क्रम में पुडूचेरी सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम का एक प्रारूप बिल सरकार के विचारार्थ प्रस्तुत किया गया.
1 नवम्बर, 1956 में पूर्व पंजाब से जुड़े हुए राजसी राज्यों को मिलाकर इसे एक राज्य बनाया गया. इसकी राजधानी चण्डीगढ़ है और इसमें 17 जिला हैं और इसका क्षेत्रफल 50, 362 वर्ग किलो मीटर है. पॉंच नदियों की भूमि पंजाब को भारत का सबसे समृद्धशाली राज्य माना जाता है जिसकी प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक है. पूर्व पंजाब की राजधानी लाहौर में सार्वजनिक पुस्तकालय प्रारंभ किए जाने के अतिरिक्त कुछ अन्य पुस्तकालय हैं जो अन्तिम शदी के प्रथम अंश में प्रारंभ हुंआ. वहॉं अन्य पुस्तकालयों में पटियाला(1897) में नगर सार्वजनिक पुस्तकालय, अमृतसर (1900) में मोतीलाल नेहरू सार्वजनिक पुस्तकालय, कपूरथाला (1904) में नगर सार्वजनिक पुस्तकालय स्थित थे. पंजाब पुस्तकालय संघ 1916 में प्रारंभ हुआ और इसने राज्य में पुस्तकालय आंदोलन प्रारंभ करने में जमींदारी सेवा उपलब्ध करवाया. स्वतंत्रता के उपरांत इसके मानद् सचिव श्री जी. एल. त्रेहान ने इसपर पहल करते हुए सार्वजनिक पुस्तकालय विधेयक को लागू करवाने के लिए सरकार को ज्ञापन प्रस्तुत किया. इस विधेयक के महत्व को महसूस करते हुए पंजाब के स्थानीय सरकारी विभाग ने सार्वजनिक पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया और उसे अधिनियम विभाग को प्रस्तुत किया. जॉंच के पश्चात् इसे पंजाब सरकार के केन्द्रीय पुस्तकालय समिति को विचारार्थ अग्रेषित किया गया. अभी तक इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
राज्स्थान क्रमानुसार कई राजसी राज्यों को मिलाकर गठित किया गया. इसका गठन 1 नवम्बर, 1956 में हुआ. इसकी राजधानी जयपुर है और इसमें 32 जिला है और इसका क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलो मीटर. 1866 में जयपुर में महाराज का सार्वजनिक पुस्तकालय स्थापित किया गया. 1866 से 1872 के बीच एक ब्रिटिस पुस्तकालयाध्यक्ष सर फ्रैंक एलेग्जेण्डर को इसे व्यवस्थित करने हेतु आमंत्रित किया गया. यहॉं राजसी राज्यों में कई पुस्तकालय हैं. 1962 में प्रोफेसर एस. बसीरूद्दीन के मार्गदर्शन में राजस्थान पुस्तकालय संघ प्रारंभ हुआ. इस संघ ने समस्त प्रभागों एवं जिला मुख्यालयों में इसकी शाखाऍं स्थापित की. राजस्थान पुस्तकालय संघ ने पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया और उसे 1965 में सरकार को प्रस्तुत किया. संघ द्वारा श्रृंखलाबद्ध प्रयासों के उपरांत 2006 में राजस्थान सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित करवाया गया. यहॉं केन्द्रीय पुस्तकालय, 7 प्रभागीय पुस्तकालय, 33 जिला पुस्तकालय 9 तहसील पुस्तकालय एवं प्रखंड स्तर पर 228 पुस्तकालय है.
सिक्किम छोग्याल (राजा) द्वारा शासित राजसी राज्य था. यह संघ शासन से जुड़ा और भारतीय संविधान के 38वें संशोधन के अनुरूप 26 अप्रैल, 1975 से 22वें राज्य के रूप में स्थापित हुआ. यह राज्य उत्तर में तिब्बत, पूर्व में भूटान एवं दक्षिण में पश्चिम बंगाल की सीमाओं से सम्बद्ध है. इसकी राजधानी गंगटोक है जिसमें चार जिला हैं और इसका क्षेत्रफल 7,096 वर्ग किला मीटर है. सभी चारों जिलाओं में जिला पुस्तकालय है. राज्य में पुस्तकालय विधेयक प्रयास अभी भी शेष है.
इस राज्य का नाम तमिलनाडू 14 जनवरी 1969 में पड़ा. इसकी राजधानी चेन्नै है और वर्तमान में इसमें 31 जिला हैं और इसका क्षेत्रफल 1,30,058 वर्ग किलो मीटर है. मद्रास विश्वविद्यालय के पुस्तकालयाध्यक्ष के रूप में डॉ. एस. आर. रंगनाथन ने पहली बार 1925 से पूर्व भारत में पुस्तकालय विधेयक के संबंध में विचार किया जिसपर उन्हें 1948 में सफलता मिली. इसे समेकित मद्रास राज्य में अप्रैल 1950 में कार्यान्वित किया गया िजसमें 27 जिला है जिसमें से 12 जिला आन्ध्र का है. इस अधिनियम के कार्यान्वयन के उपरांत कोन्नेमारा सार्वजनिक पुस्तकालय का नाम बदल कर राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय किया गया. शाखा पुस्तकालयों के अलावा सभी जिलाओं में जिला केन्द्रीय पुस्तकालय की स्थापना की गई. सार्वजनिक पुस्तकालय निदेशालय का गठन किया गया जिसमें प्रणाली के नियंत्रण हेतु पूर्ण कालिक निदेशक रखा गया.
तेलंगाना राज्य में सार्वजनिक पुस्तकालय विभाग सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम, 1960 जैसा कि समय-समय से संशोधित होता है, के प्रावधानों का पालन कर रहा है। सार्वजानिक पुस्तकालयों का निदेशालय विद्यालय शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत है। इस विभाग के अंर्तगत दो (2) राजकीय क्षेत्रीय पुस्तकालय, एक (1) राज्य केंद्रीय पुस्तकलय, 33 जिला ग्रन्थालय सम्सथास तथा मण्डल मुख्यालय में 537 शाखा पुस्तकालय कार्यरत है। उपर्युक्त सभी पुस्तकालयें 68 लाख पुस्तकों एवं लगभग 5 लाख सदस्यता धारकों सहित प्रति महीना 26 लाख पाठकों/आगन्तुकों के साथ कार्यरत है। सार्वजनिक पुस्तकलय अधिनियम, 1960 ग्रन्थालय परिषद कहा जाने वाला एक विधायी संगठन के रूप में जाना जाता है एवं कार्यकारी केंद्र को राज्य में सभी सार्वजनिक पुस्तकालयों का एक प्रभावी ढंग से विकासशील प्रशासी बनाने के लिए सार्वजानिक पुस्तकालय निदेशालय कहा जाता है। राज्य के सभी जिला केंद्रीय पुस्तकलयों एवं शाखा पुस्तकलयों में पाठकों/विद्यार्थियों के मांग पर प्रतियोगिता मूलक एवं संदर्भ पुस्तकें शहर/जिला ग्रन्थालय सम्सथायें प्रदान कर रहा है, ताकि उपकर निधियों से प्रतियोगिता मूलक परीक्षाओं के लिए विदयार्थियों के मान को सुनिश्चित किया जा सके। जिला केंद्रीय पुस्तकलयों, क्षेत्रीय पुस्तकालयों एवं ग्रेड-1 के पुस्तकालयों में सभी वाचनालय (पठन गृह) वातानुकूलित है। पाठकों को मुफ्त में इंटरनेट सुविधा सहित कंप्यूटर के प्रयोगशालाएं 100 से अधिक पुस्तकालयों में प्रतियोगिता मूलक परीक्षा की तैयारी के लिए विद्यार्थी वर्ग के समूहों को मुफ्त में पठन हॉल प्रदान किया जाता है।
15 अक्टूबर, 1949 में संघ शासन के पूर्व त्रिपुरा एक राजसी राज्य था. यह 1 नवम्बर, 1957 को संघ शासित प्रदेश बना तथा 21 जनवरी, 1972 से इसे पूर्ण राज्य बनाया गया. अभी तक पुस्तकालय विधेयक के संबंध में किसी भी प्रकार का सघन प्रयास नहीं किया गया. इसमें बिरचन्द्र राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय के नाम से जाना जानेवाला राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय है जो पुराना सचिवायलय भवन में स्थित है और इसमें 4 जिला पुस्तकालय, 10 उप-प्रभागीय पुस्तकालय,7 प्रखंड पुस्तकालय और 2 ग्रामीण पुस्तकालय है.
इस राज्य को उत्तर प्रदेश राज्य के घाटी क्षेत्रों से पृथक किया गया. 1928 में हुए करांची कांग्रेस से ही इसे एक अलग राज्य बनाने की मांग की जा रही थी. इस राज्य में 13 जिला है और इसका क्षेत्रफल 55,845 वर्ग किलो मीटर है. सरकार ने पुस्तकालय विधेयक की आवश्यकता को महसूस करते हुए 2005 में इसका अधिनियम पारित किया.
वर्तमान का उत्तर प्रदेश राज्य 1956 में गठित हुआ. इसकी राजधानी लखनउ है और इसमें 70 जिला है और इसका क्षेत्रफल 2,94,411 वर्ग किलो मीटर है. उत्तर प्रदेश पांडुलिपि पुस्तकालयों के लिए प्रसिद्ध है. पांडुलिपि संग्रह कर रामपुर पुस्तकालय में जमा किया गया है. इलाहाबार सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना 1864 में हुई. 1872 में बनारस में कारमाइकल पुस्तकालय की स्थापना हुई, मेरठ में 1866 में ल्याल पुस्तकालय एवं अध्ययन कक्ष की स्थापना हुई और स्वैच्छिक संगठनों द्वारा अनेक पुस्तकालयों की स्थापना की गई एवं उसका रख-रखाव किया गया. उत्तर प्रदेश पुस्तकालय संघ की स्थापना 1949 में हुई. संघ की देख-रेख में लखनउ और कानपुर में एक अस्पताल पुस्तकालय सेवा संचालित है. डॉ. एस. आर. रंगनाथन ने 1949 में उत्तर प्रदेश सार्वजनिक पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया और पुस्तक के रूप में इसे प्रकाशित किया. उत्तर प्रदेश के तत्कालीन शिक्षा मंत्री डॉ. संपूर्णानन्द ने पु्स्तकालय बिल के प्रारूप के साथ संयुक्त प्रदेशों के लिए पुस्तकालय विकास योजना नामक पुस्तक का परिचय लिखा. बिल सरकार को प्रस्तुत किया गया और विधान सभा के सभी सदस्यों को वितरित किया गया. सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम को विधिक पुस्तक बनाने के संबंध में शिक्षा मंत्री के अथक प्रयासों के बावजूद भी इसका कोई परिणाम नहीं निकला. अंततोगत्वा सरकार ने 2006 में पुस्तकालय विधेयक का अध्यादेश जारी किया.
कई परिवर्तनों के उपरांत पश्चिम बंगाल राज्य 1956 में अपने वर्तमान अस्तित्व में आया. इसकी राजधानी कोलकाता है और इसमें 18 जिला है और इसका क्षेत्रफल 88,752 वर्ग किलो मीटर है. भारतीय पुस्तकालय आंदोलन के अग्रणी बांसबेरी राज के कुमार मुनिन्द्र देव राज महाशय पुस्तकों एवं पुस्तकालयों के प्रमी थे. उन्होंने डॉ. एस. आर. रंगनाथन द्वारा तैयार किए गए आदर्श अधिनियम में बंगाल की परिस्थिति के अनुकूल कुछ संशोधन करके विधान सभा में प्रस्तुत किया. उनके प्रयासों के बावजूद भी उन्हें बिल में कुछ अनिवार्य वित्तीय खंडो के कारण वायसराय और गवर्नर जनरल की पूर्व अनुमति प्राप्त नहीं हो सकी. कुछ समय के लिए बिल को लम्बित रखा गया. बंगाल पुस्तकालय संघ ने वर्ष 1930 में नवद्विप में राज्य सम्मेलन आयोजित किया जहॉं डॉ. रंगनाथन ने पुन: पुस्तकालय बिल का प्रारूप तैयार किया और अपने अध्यक्षीय संबोधन में उसे शामिल किया. तत्कालीन शिक्षा मंत्री राय हरेन्द्रनाथ चौधुरी इस बिल के पक्षधर थे. परन्तु कुछ अज्ञात कारणों से उस समय भी बिल को कानुनी जामा नहीं पहनाया जा सका. 1977 में बंगाल में वामपंथी दल सत्ता में आया. वामपंथियों ने अपने घोषणा पत्र के द्वारा यह आश्वासन दिया कि पुस्तकालय विधेयक के माध्यम से सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली को विकसित किया जाएगा. बंगाल पुस्तकालय संघ ने नई सरकार को बिल का प्रारूप दिया. श्री पार्थ दे, जो बाद में राज्य में पुस्तकालय सेवाओं के प्रथम मंत्री बने, ने इस अधिनियम को लागू करने के लिए व्यक्तिगत रूप से कष्टकर प्रयास किया. 12 सितम्बर, 1979 में बंगाल सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम विधान सभा में पारित किया गया. इस राज्य में राज्य केन्द्रीय पुस्तकालय अपने शिखर पर है और निम्न स्तर पर जिला पुस्तकालय एवं अन्य पुस्तकालय है. प्रणाली के रख-रखाव के लिए इनका पुस्तकालय निदेशालय भी है.
महामहिम सायजि राव गायकवाड III , बड़ोदा के महाराज, जिनमें महान दूरदर्शिता थी, ने 1910 से पूर्व ही भारत में सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली को विकसित किया था. उन्होंने 1893 में एक जिला में अत्यंत ही सतर्कतापूर्वक समूह शिक्षा को अनिवार्य रूप से प्रतिष्ठित करने का कार्यक्रम प्रस्तुत किया और उसे 1907 से संपूर्ण राज्य में विकसित किया. साथ ही साथ इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा को अपने राज्य के सभी लड़के और लड़कियों के लिए अनिवार्य कर दिया. महामहिम ने यह भी महसूस किया कि विश्व स्तरीय शिक्षा की आवश्यकता है, उसके आवश्यक पूरक के रूप में, नि:शुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय के जाल, जो शिक्षा को जीवित रख सकता है, ग्रामीण क्षेत्रों में पुरूषों एवं महिलाओं में ज्ञान के श्रोत तक पहुंचने में सहायता करे जो अब तक उन्हें प्राप्त नहीं हो सका है. महाराज ने पुन: इसपर जोड़ दिया कि ‘ पुस्तकालय केवल मात्र अंग्रेजी जानने वाले पाठकों तक ही अपना लाभ सीमित नही रखे वरण इसका भी ख्याल रखे कि उसके उत्तम कार्य को लाभ कई पाठकों के बीच पहुंच रहा है’, और ‘हिन्दी पुस्तकालयों को प्रोत्साहित करे’ ताकि राज्य के सभी नागरिक ‘ अपने को जनता को और जनता के लिए पुस्ताकलय की भावना तैयार कर सके. इसी आदर्श विचार के साथ उन्होंने 1910 के प्रारंभ से राज्य में नि:शुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना की.
इस उद्देश्य से उन्होंने राज्य पुस्तकालय के प्रथम पूर्ण कालिक निदेशक श्री डब्लू. ए. बोर्डन के साथ मिलकर एक अलग पुस्तकालय विभाग की स्थापना की. उनका दूसरा कदम था बड़ोदा में एक केन्द्रीय पुस्तकालय के स्थापना की जिसमें 88764 भाग का केन्द्रीकृत संग्रह उपल्ब्ध हो जिसमें महाराज के 20000 निजी पुस्तकों का संग्रह शामिल हो. इसके प्रबंधन के लिए 50 कर्मचारियों के साथ साथ एक पूर्ण कालिक ग्रन्थागार संरक्षक की नियुक्ति की गई. यह जानकर बड़ा ही आश्चर्यजनक प्रतीत होता है कि एक शताब्दि पूर्व में ही महाराज ने राज्य के एक फाटोस्टेट कैमरा और कैमरा प्रोजेक्टर खरीदने की व्यवस्था की थी. प्रोजेक्टर का उपयोग मूक फिल्म इत्यादि देखने के लिए किया जाने लगा. उन्होंने प्रथम संपादक के रूप में श्री जे.एस. कोडलकर के साथ अग्रेजी, गुजराती एवं मराठी में एक लाइब्रेरी मेसलेनी नाम एक तिमाही पत्रिका/शोध पत्र प्रकाशित करना प्रारंभ किया तथा तालुका स्तर पर पुस्तकालय संघ, नगर एवं गॉंवों में मित्र मंडल(पुस्तकालय में मित्र समूह) की स्थापना की और नियमित रूप से सम्मेलन का आयोसार्वजनिक प्रारंभ किया. सुदूर ग्रामीण स्तर तक किताबों की सुविधा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से उन्होंने गतिमान पुस्तकालय सेवा का आयोसार्वजनिक किया गया.
महाराज ने संस्कृत, गुजराती एवं अन्य भाषाओं में लगभग 6846 मुद्रित पुस्तकों एवं 1420 पांडुलिपि के साथ एक ओरियन्टल इन्स्टिच्यूट एण्ड लाइब्रेरी की भी स्थापना की. महाराज प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने 1915 में गायकवाड के पूर्वी श्रृंखला के प्रकाशन को प्रारंभ किया था. यही इस देश की प्रथम सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली थी. गायकवाड III के किसी भी उत्तराधिकारियों को सार्वजनिक पुस्तकालय कार्यक्रम में कोई अभिरूचि नहीं रही. राजकीय श्रद्धा के अभाव में बड़ोदा की यह महान सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणाली धीरे धीरे धूमिल होती गई. पून: 2001 में गुजरात सार्वजनिक पुस्तकाल अधिनियम के कार्यान्वयन के पश्चात् यह गतिमान होने लगा.
चेन्नै में 1661 में अंग्रेजी कॉलनी पुस्तकाल के प्रारंभ के बाद से भारत में अब तक कुल 54,856 सार्वजनिक पुस्तकालय (आर्ग-मार्ग सर्वेक्षण रिपोर्ट) हैं. उनके विकास एवं पतन के आंकड़ो के संबंध में कोई आधिकारिक सर्वेक्षण उपलबध नहीं है. इनमें से अधिकतर पुस्तकालय का प्रबंधन स्वैच्छिक संगठनों द्वारा संचालित होता है और जनता से पर्याप्त नीधि सहायता के अभाव में अधिक समय तक नहीं चल पाया. संभवत: उनमें से 50 प्रतिशत सार्वजनिक पुस्तकालय स्वैच्छिक संगठनों द्वारा प्रारंभ किया गया था जो एक अवधि के बाद बन्द हो गया. केवल वही सार्वजनिक पुस्तकालय कार्यरत हैं जो कि सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम के अतंर्गत अथवा राज्य सरकार द्वारा लगातार संपोषित हैं. 1950 से पूर्व आंध्र प्रदेश राज्य में गैर सरकारी संगठनों द्वारा संचालित लगभग 6000 सार्वजनिक पुस्तकालय थे. अब यह आंकड़ा घटकर 3000 से नीचे आ गया है. अन्य राज्यों में भी प्राय: यही स्थिति होगी.
भारत ने 1947 में आजादी प्राप्त की और 1950 में यह गणतंत्र बना । प्रशासन की सुविधा के लिए अब दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, 28 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेश हैं । स्वाधीनता से पहले भी, पश्चिमी भारत में कोल्हापुर राज घराने ने 1945 में सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित किया । भारत की स्वाधीनता से निम्नलिखित राज्यों ने सार्वजनिक पुस्तकालय अधिनियम पारित किये हैं ।
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